Tuesday, 17 November 2020

वो एक लड़की

وہ ایک لڑکی 


ساحل پر بیٹھی ہوئی ایک  لڑکی
دھنک رنگ سمیٹے ہوئے آنکھوں میں
انگلی کے اشارے سے
قرطاسِ  ابر پر 
آڑی ترچھی لکیریں کھینچتی ہے
 کبھی بدبداتی  ہے
 کبھی گنگناتی ہے
 کبھی مسکراتی ہے 
 تو لگتا ہے جیسے گرمی کے موسم میں بارش ہوئی ہے 
امس سے تن و من کو راحت ملی ہے 
کبھی تو وہ بالکل خاموش ہو جاتی ہے 
 انگلی چلانا   بھول جاتی
یوں جیسے زمیں بھول بیٹھی ہو چلنا
ہر اک شئے جیسے جامد ہوئی پل میں
مگر
 دوسرے لمحے 
  وہ  سر   جھٹک کر 
  لکیریں مٹاتی ہے
اور پھر  بناتی ہے 
کئی گھنٹوں سے بس یہی کر رہی ہے
کوئی نفسیاتی مریضہ ہے شاید


شبنم فردوس


वो एक लड़की

साहिल पर बैठी हुई एक लड़की
धनक रंग समेटे हुए आंखों में 
उंगली के इशारे से 
किर्तासे अब्र पर 
आड़ी तिरछी लकीरें खींचती है
कभी बुदबुदाती है 
कभी गुनगुनाती है
तो लगता है जैसे गर्मी के मौसम में बारिश हुई है
उमस से तनो मन को राहत मिली है
कभी तो वो बिल्कुल खामोश हो जाती है
उंगली चलना भूल जाती है 
यूं जैसे ज़मीन भूल बैठी हो चलाना
हर एक श्ये जैसे जमिद हुई पल में
मगर
दूसरे लम्हे
वो सर झटक कर
लकीरें मिटाती है 
और फिर बनाती है
कई घंटों से बस यही कर रही है 
कोई नफसियाती मरिज़ा है शायद
शबनम फ़िरदौस

1 Comments:

At 17 November 2020 at 17:04 , Anonymous Fatima Hasan said...

بہت ہی عمدہ

 

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