Sunday, 24 April 2022

Nazm(kavita)__Khota Sikka, poet_Shabnam Firdaus

کھوٹا سکہ

جب سکہ اپنا
کھوٹا ہو 
تو دوش
 کسی کو کیا دینا

معصوم بنا وہ پھرتا تھا
ہر بات میں
 دھوکہ دیتا تھا
ہر بار کہانی 
گڑھتا تھا
 وہ سب کو جھوٹا کہتا تھا
چہرے پہ کتنے چہرے تھے
 مجھکو یہ معلوم نہ تھا

کیوں آج
 تمہیں ہے دکھ آخر
جو بویا تھا
وہ کاٹو گے
غلطی تو تمہاری اپنی تھی 
 الٹی عینک سے دیکھا تھا
شبنم فردوس


खोटा सिक्का

जब सिक्का अपना 
खोटा हो
तो दोष
 किसी को क्या देना
मासूम बना वह फिरता था
हर बात में
धोका देता था
हर बार कहानी
गढ़ता था
वह सब को झूठा कहता था
चेहरे पे कितने चेहरे थे
मुझ को यह मालूम न था

क्यों आज
तुम्हें है दुख आखि़र
जो बोया था
वह काटो गे
ग़लती तो तुम्हारी अपनी थी
उल्टी ऐनक से देखा था

शबनम फ़िरदौस

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1 Comments:

At 23 October 2022 at 13:38 , Anonymous Anonymous said...

شانداار وااہ

 

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