Ghazal _ zindagani javedani bhi nahi by Amjad Islam Amjad

زندگانی جاودانی بھی نہیں لیکن اس کا کوئی ثانی بھی نہیں ہے سوا نیزے پہ سورج کا علم تیرے غم کی سائبانی بھی نہیں منزلیں ہی منزلیں ہیں ہر طرف راستے کی اک نشانی بھی نہیں آئنے کی آنکھ میں اب کے برس کوئی عکس مہربانی بھی نہیں آنکھ بھی اپنی سراب آلود ہے اور اس دریا میں پانی بھی نہیں جز تحیر گرد باد زیست میں کوئی منظر غیر فانی بھی نہیں درد کو دل کش بنائیں کس طرح داستان غم کہانی بھی نہیں یوں لٹا ہے گلشن وہم و گماں کوئی خار بد گمانی بھی نہیں امجد اسلام امجد  ज़िंदगानी जावेदानी भी नहीं लेकिन इस का कोई सानी भी नहीं है सवा-नेज़े पे सूरज का अलम तेरे ग़म की साएबानी भी नहीं मंज़िलें ही मंज़िलें हैं हर तरफ़ रास्ते की इक निशानी भी नहीं आइने की आँख में अब के बरस कोई अक्स-ए-मेहरबानी भी नहीं आँख भी अपनी सराब-आलूद है और इस दरिया में पानी भी नहीं जुज़ तहय्युर गर्द-बाद-ए-ज़ीस्त में कोई मंज़र ग़ैर-फ़ानी भी नहीं अमजद इस्लाम अमजद  दर्द को दिलकश बनाएँ किस तरह दास्तान-ए-ग़म कहानी भी नहीं यूँ लुटा है गुलशन-ए-वहम-ओ-गुमाँ कोई ख़ार-ए-बद-गुमानी भी नहीं अमजद इस्लाम अमजद

Nazm(कविता)_Pathar Ki Aankh_Poet_Shabnam Firdaus

پتھر کی آنکھ
سنو!!!
 اے روشنی زادے 
اٹھائے ہاتھ میں سورج
 یہ کس بستی میں آئے ہو؟
یہ بستی اندھے لوگوں  کی 
یہاں کیا کام سورج کا ؟
یہاں سے تم چلے جاؤ 
ابھی فوراً چلے  جاؤ
سنو!!!!
  یہ  لوگ بستی کے
پکاریں  گے ,
 دہائی بھی تمہیں دیں گے
خدا را تم  پلٹنا مت
کہ
 دیکھو گے جو تم  مڑ کر
 تمہاری آنکھ پتھر کی ہو جائے گی
شبنم فردوس

पत्थर की आंख
सुनो।।।
 ए रौशनी ज़ादे
उठाए हाथ में सूरज
यह किस बस्ती में आए हो?
यह बस्ती अंधे लोगों की
यहां क्या काम सूरज का?
यहां से तुम चले जाओ
अभी फौरन चले जाओ
सुनो।।।
यह लोग बस्ती के
 पुकारेंगें,
दोहाई भी तुम्हें देंगें
ख़ुदारा तुम पलटना मत
कि देखोगे जब तुम मुड़कर
तुम्हारी आंख पत्थर की हो जाएगी

शबनम फ़िरदौस
ss

Comments

Kaushal Kishore said…
Good one 👌💐
Shabnam firdaus said…
Thank you so much.Be blessed