Ghazal _ zindagani javedani bhi nahi by Amjad Islam Amjad

زندگانی جاودانی بھی نہیں لیکن اس کا کوئی ثانی بھی نہیں ہے سوا نیزے پہ سورج کا علم تیرے غم کی سائبانی بھی نہیں منزلیں ہی منزلیں ہیں ہر طرف راستے کی اک نشانی بھی نہیں آئنے کی آنکھ میں اب کے برس کوئی عکس مہربانی بھی نہیں آنکھ بھی اپنی سراب آلود ہے اور اس دریا میں پانی بھی نہیں جز تحیر گرد باد زیست میں کوئی منظر غیر فانی بھی نہیں درد کو دل کش بنائیں کس طرح داستان غم کہانی بھی نہیں یوں لٹا ہے گلشن وہم و گماں کوئی خار بد گمانی بھی نہیں امجد اسلام امجد  ज़िंदगानी जावेदानी भी नहीं लेकिन इस का कोई सानी भी नहीं है सवा-नेज़े पे सूरज का अलम तेरे ग़म की साएबानी भी नहीं मंज़िलें ही मंज़िलें हैं हर तरफ़ रास्ते की इक निशानी भी नहीं आइने की आँख में अब के बरस कोई अक्स-ए-मेहरबानी भी नहीं आँख भी अपनी सराब-आलूद है और इस दरिया में पानी भी नहीं जुज़ तहय्युर गर्द-बाद-ए-ज़ीस्त में कोई मंज़र ग़ैर-फ़ानी भी नहीं अमजद इस्लाम अमजद  दर्द को दिलकश बनाएँ किस तरह दास्तान-ए-ग़म कहानी भी नहीं यूँ लुटा है गुलशन-ए-वहम-ओ-गुमाँ कोई ख़ार-ए-बद-गुमानी भी नहीं अमजद इस्लाम अमजद

Neeli aankhen

نیلی آنکھیں
کہتے تھے تم
مجھ سے اکثر 
”میں نے
لوکوں سے سنا ہے 
نیلی  آنکھوں والے اکثر 
بے وفا
ہوتے ہیں جاناں “
مسکرا کے
چپ میں رہتی 
دن ,
مہینے , 
سال
بیتے 
کتنے موسم
گزرے لیکن 
جانے ان آنکھوں میں کیوں وہ
ایک ہی موسم ٹھہر گیا
  شبنم فردوس
नीली आंखें

कहते थे तुम
 मुझसे अक्सर 
"मैंने 
लोगों से सुना है 
नीली आंखों वाले अक्सर
बेवफा 
होते हैं जानां"
मुस्कुरा कर 
चुप मै रहती 
दिन , 
महीने,
साल
बीते
कितने मौसम
गुज़रे लेकिन
जाने इन आंखों में क्यों वो
एक ही मौसम ठहर गया है
शबनम फ़िरदौस

Comments

Anonymous said…
Wahhh
तानिया मिश्रा said…
बहुत ही सुन्दर