یہ کس دشا میں ہم جا رہے ہیں
دشا
کل سکوں دل کو میرے ملا تھا
کہ وہ سب درندے جو قاتل تمہارے تھے مارے گئے ہیں
مگر آج پھر سے
نئی اک دشا کی خبر سن رہی ہوں
تو پھر سے وہی خوف
جو کنڈلی مارے مرے ذہن و دل میں بیٹھا ہوا تھا ،
اٹھانے لگا سر
دشا
جب سے میں نے
تمہاری خبر دیکھی تھی سرخیوں میں
مری آنکھوں سے نیند روٹھی ہوئی تھی
وظیفے میں جتنے بھی پڑھتی مگر
ایک لمحے کو مژگان میری
جھپکتی نہیں تھیں
اگر غلطی سے یہ جھپک بھی گئیں تو
دکھائی مجھے دیتیں پریاں کئی رقص کرتی ،
اداسی کے سر میں
مرے کانوں میں گنگناتی ہوئی
سرگوشی کرتیں
مت جنم دینا کسی لڑکی کو تم
اگر کوئی غلطی سے لے جنم بھی ،
اپنے ہی ہاتھوں سے دفنا دو پھر
کہ کوئی
دشا۔
نربھیا ،
آصفہ نہ بنے اب
یہ بیٹی بچاؤ ،کہ بیٹی پڑھاؤ کے نعرے ہیں بس کھوکھلے ہی
زباں خرچ ہیں سب
دشا
تم بتاؤ
یہ ہم کس دشا میں چلے جارہے ہیں
کہ ظلمت کے اشجار چاروں طرف ہیں
اندھیرے میں رستے ہیں ڈوبے ہوئے
روشنی کی کرن آئے کیسے بھلا اب
یہاں تو مسیحا نہ آئے گا کوئی
تمہیں بھی پتہ ہے
کہ کوئی مسیحا درندے کو گر بھون دے گولیوں سے
تو سولی پہ ہمت کو اس کی چڑھا دیتے ہیں
شبنم فردوس
ये किस दिशा में हम जारहे हैं
दिशा
कल सुकुं दिल को मरे मिला था
के वो सब दरिंदे जो क़ातिल तुम्हारे थे मारे गए है
मगर आज फिर से
नई एक दिशा की खबर सुन रही हूं
तो फिर से वही खौफ
जो कुंडली मारे मेरे ज़हनो दिल में बैठा हुआ था
उठाने लगा सर
दिशा
जब से मैंने
तुम्हारी खबर देखी थी सुर्खियों में
मेरी आंखों से नींद रूठी हुई थी
वजीफे मै जितने भी पढ़ती मगर
एक लम्हे को मिसगान मेरी
झपकती नहीं थीं
अगर गलती से ये झपक भी गईं तो
दिखाई मुझे देतीं परियां कई
रक्स करती
उदासी के सुर में
मेरे कानो में गुनगुनाती हुई
सर्गोशी करतीं
मत जन्म देना किसी लड़की को तुम
अगर कोई गलती से ले जन्म भी
अपने ही हाथों से दफना दो फिर
के कोई
दिशा
निर्भया
आसिफा ना बने अब
ये बेटी बचाओ के बेटी पढ़ाओ के नारे है बस खोखले ही
ज़ुबान खर्च हैं सब
दिशा
तुम बताओ
ये हम किस दिशा में चले जारहे हैं
के ज़ुल्मत के अशजार चारों तरफ हैं
अंधेरे में रस्ते हैं दुबे हुए
रोशनी की किरण आए कैसे भला अब
तुम्हे भी पता है
के कोई मसीहा दरिंदे को गर भून से गोलियों से
तो सुली पे हिम्मत को उसकी चढ़ा देते हैं
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home